सरेआम हत्या, हत्यारा फरार, हाथ मलती रही पुलिस
सरेशाम कोयला व्यापारी गोवर्धन अग्रवाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई. उनको गोली किसने मारी. पुलिस अब तक इसका पता नहीं लगा पाई है. उनको किसी अज्ञात व्यक्ति ने गोली मारी जब वह कोल डिपो बंद करके अपने घर नवापारा लौट रहे थे। घायल अवस्था में उन्हें अस्पताल दाखिल कराया गया जहां उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई।
पुलिस के अनुसार गोवर्धन अग्रवाल 45 वर्ष अपनी मोटर साइकिल से घर लौट रहे थे कि स्थानीय बीटीआई के पीछे घात लगाए बैठे हमलावर ने उन पर गोली चला दी। गोली लगते ही वे मोटर साइकिल से गिर पड़े। इसकी सूचना उनके घरवाली को दी गई और उन्हें अस्पताल ले जाया गया। गोली उनके सीने में लगी। हमले के कारणों का पता नहीं चल सका है।
उल्लेखनीय है कि कोयला व्यवसायियों में भारी व्यवासायिक प्रतिद्वंदिता चलती रही है और इसे लेकर पहले भी हत्या के प्रयास की घटनाएं देखी-सुनी गई है। गोवर्धन अग्रवाल का बनारस रोड पर कोल डिपो है और वे इस व्यवसाय से लंबे समय से जुड़े हुए हैं। इस घटना से कोयला व्यवसाय में हडक़ंप का माहौल निर्मित हो गया है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।
इस घटना ने शहर की सुरक्षा को फिर से सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है. लोग खौफ में हैं और शाम के वक्त घऱ से बाहर निकलने से कतरा रहे हैं. किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा हत्या करने की ये कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी लाल बाबू सिंह और उनके साले की हत्या भाड़े के हत्यारों ने कर दी थी. अंदेशा जताया जा रहा है कि गोर्वधन अग्रवाल की हत्या भी भाड़े के शूटरों से कराई गई होगी.
इस हत्याकांड ने पुलिस के सामने एक बार फिर चुनौती पेश कर दी है. इससे पहले डबल मर्डर केस और कई ऐसे दूसरे खूनी केस हैं जिसकी तह तक पुलिस अब तक नहीं पहुंच सकी है. कुछ दिन पहले आर्किटेक्ट संतोष गुप्ता के छोटे भाई की लाश बांकी डेम से मिली थी. घऱवालों ने उसके हत्या की आशंका जताई थी लेकिन पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंची, अलबत्ता राजनीतिक दबाव के बाद जांच अधिकारी ज़रूर बदल दिया गया था. गौरतलब है कि लाश की बरामदगी से करीब महीने भर पहले उसकी मोटर साईकिल और चप्पल अलग अलग जगहों पर मिले थे. परिस्थियां हत्या की ओर इशारा कर रही थी.लेकिन डेढ़ महीने बाद भी पुलिस उसकी कॉल डिटेल तक नहीं निकलवा पाई थी. ऐसी पुलिस से ये उम्मीद करना कि वो जल्द ही गोवर्धन के हत्यारों का पता लगा लेगी, नासमझी होगी
पुलिस के अनुसार गोवर्धन अग्रवाल 45 वर्ष अपनी मोटर साइकिल से घर लौट रहे थे कि स्थानीय बीटीआई के पीछे घात लगाए बैठे हमलावर ने उन पर गोली चला दी। गोली लगते ही वे मोटर साइकिल से गिर पड़े। इसकी सूचना उनके घरवाली को दी गई और उन्हें अस्पताल ले जाया गया। गोली उनके सीने में लगी। हमले के कारणों का पता नहीं चल सका है।
उल्लेखनीय है कि कोयला व्यवसायियों में भारी व्यवासायिक प्रतिद्वंदिता चलती रही है और इसे लेकर पहले भी हत्या के प्रयास की घटनाएं देखी-सुनी गई है। गोवर्धन अग्रवाल का बनारस रोड पर कोल डिपो है और वे इस व्यवसाय से लंबे समय से जुड़े हुए हैं। इस घटना से कोयला व्यवसाय में हडक़ंप का माहौल निर्मित हो गया है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।
इस घटना ने शहर की सुरक्षा को फिर से सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है. लोग खौफ में हैं और शाम के वक्त घऱ से बाहर निकलने से कतरा रहे हैं. किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा हत्या करने की ये कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी लाल बाबू सिंह और उनके साले की हत्या भाड़े के हत्यारों ने कर दी थी. अंदेशा जताया जा रहा है कि गोर्वधन अग्रवाल की हत्या भी भाड़े के शूटरों से कराई गई होगी.
इस हत्याकांड ने पुलिस के सामने एक बार फिर चुनौती पेश कर दी है. इससे पहले डबल मर्डर केस और कई ऐसे दूसरे खूनी केस हैं जिसकी तह तक पुलिस अब तक नहीं पहुंच सकी है. कुछ दिन पहले आर्किटेक्ट संतोष गुप्ता के छोटे भाई की लाश बांकी डेम से मिली थी. घऱवालों ने उसके हत्या की आशंका जताई थी लेकिन पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंची, अलबत्ता राजनीतिक दबाव के बाद जांच अधिकारी ज़रूर बदल दिया गया था. गौरतलब है कि लाश की बरामदगी से करीब महीने भर पहले उसकी मोटर साईकिल और चप्पल अलग अलग जगहों पर मिले थे. परिस्थियां हत्या की ओर इशारा कर रही थी.लेकिन डेढ़ महीने बाद भी पुलिस उसकी कॉल डिटेल तक नहीं निकलवा पाई थी. ऐसी पुलिस से ये उम्मीद करना कि वो जल्द ही गोवर्धन के हत्यारों का पता लगा लेगी, नासमझी होगी
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