अम्बिकापुर खबर (Ambikapur News)

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रविवार, 11 अक्तूबर 2009

गोवर्धन हत्याकांड का जल्द होगा खुलासा- आईजी आर सी पटेल

सरगुजा रेंज के आईजी आर सी पटेल ने दावा किया है कि जल्द ही गोवर्धन हत्याकांड का खुलासा कर दिया जाएगा. आर सी पटेल ने अंबिकापुर.ब्लागस्पाट.कॉम को टेलीफोन पर बताया कि इस हत्याकांड में पुलिस के हाथ कुछ अहम सुराग लगे हैं.लेकिन ये सुराग क्या हैं इसका खुलासा करने से उन्होंने इंकार कर दिया. उनका कहना है कि पुलिस के हाथ इस हत्याकांड से संबंधित जो जानकारी हाथ लगी है अगर वो सार्वजनिक कर दिया गया तो इससे गोवर्धन हत्याकांड की जांच प्रभावित हो सकती है. उन्होंने ये भी बताने से इंकार कर दिया कि गोर्वधन अग्रवाल की हत्या में भाड़े के शूटरों को लाया गया था या नहीं. उन्होंने ये ज़रूर बताया कि पुलिस इस नतीजे पर पहुंच चुकी है कि हत्या व्यावसायिक रंजिश का नतीजा है.
गौरतलब है कि कोयले के व्यापारी गोवर्धन अग्रवाल हत्याकांड ने पूरे शहर ही नहीं प्रदेश को हिलाकर रख दिया था. आम तौर पर शांत माने जाने वाले शहर अंबिकापुर में सरेआम हत्यारे ने बीटीआई के पास गोली मार दी थी जिससे गोवर्धन की मौत हो गई थी. इस घटना के पूर्व गृहमंत्री रामविचार नेताम ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया था.

गुरुवार, 8 अक्तूबर 2009

नेताम ने सच बोला "छत्तीसगढ़ पुलिस लापरवाह है"

पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री एवं सरगुजा के प्रभारी रामविचार नेताम ने वर्षों बाद उस सच को बोल ही दिया, जिसका साहस वो अपने गृहमंत्री के कार्यकाल के दौरान नहीं कर सके.बोलते तो मंत्रालय छीनने का खतरा रहता. इसलिए वो अब जाकर बोले हैं.
प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री ने साफ कर दिया कि शहर में कोयला व्यवसाय गोवर्धन अग्रवाल की हत्या की घटना पुलिस की लापरवाही का नतीजा है. गृहमंत्री ने वही बात कही जिसका ज़िक्र मैंने इस मर्डर पर खबर लिखते वक्त किया था.
रामविचार नेताम के इस बयान के राजनीतिक मतलब निकाले जा रहे हैं.ये सच भी है। इस बयान के राजनीतिक मायने भी हैं.लेकिन उससे भी बड़ा सच ये है कि ये पूरी तरह से पुलिस के नकारेपन और उसकी संवेदनहीनता से जुड़ा है.जिस शहर में चोरी भी नहीं होती थी वहां आजकल भाड़े के टट्टुओं- जिन्हें शूटर कहा जाता है- से लोगों का काम तमाम करवाया जा रहा है और पुलिस ऐसे अपराधों को न रोक पा रही है न अपराधियों को पकड़ पा रही है. सवाल बहुत बड़ा है कि वारदात को अंजाम देने के बाद अपराधी फरार कैसे हो गए जबकि शहर से बाहर जाने के रास्ते गिनती के हैं. और छिपने के ठिकाने भी नहीं हैं.
लिहाज़ा ये मामला बेहद संजीदा है और गुनेहगारों का पकड़ा जाना बेदह ज़रूरी है. ये मसला कोई आज नहीं खड़ा हुआ है.शहर में अराजकता की शुरुआत लाल बाबू सिंह की हत्या से हुई. ये सिलसिला आगे बढ़ा उनके साले जगमोहन की हत्या और फिर दिल दहला देने वाले डबल मर्डर से. अगर इन तीनों हत्याकांड में पुलिस दोषियों को कड़ी सज़ा दिलवाती तो हत्याओं का ये सिलसिला शायद थम जाता. पर पुलिस ऐसा कर नहीं सकी.
दरअसल सरगुजा पुलिस के पास काम का बोझ कुछ ज्यादा है. मसलन बेगुनाहों को अंदर करना, शरीफ लोगों को परेशान करने का और जो इनसे वक्त बचता है वो नेताओं और मंत्रियों की खातिरदारी में चला जाता है. अब पुलिस तो अपराधियों को तब पकड़े जब इन कामों से फुर्सत मिले.
आज शहर में जितने पुलिस वाले हैं सबकी अपनी अपनी कोठियां हैं. तब से जब उनकी तनख्वाह 10 हजार रूपये महीना भी नहीं थी.ये कोठियां कैसे बनी अधिकारियों ने कभी ये जानने की कोशिश नहीं की.
वैसे पुलिस के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है. अभी तक तो पुलिस का रौब आम लोगों पर चलता रहा है लेकिन अगर कहीं अपराधियों से इनका पाला पड़ गया और अपराधी इन पर भारी पड़ गए तो ये पुलिस वाले भाग भी नहीं पाएगें. मेहनत की पुलिसिया नौकरी में पुलिस वाले आराम फरमाते हैं और खूब खाते हैं. इसलिए वो फिट नहीं हैं. किसी भी थाने में चले जाईये.सिपाही से लेकर दरोगा तक सबकी तोंद निकल चुकी है. अब ऐसी पुलिस कहां अपराधियों पर नकेल कस सकेगी.
नेताम ने जो कहा है बिल्कुल सच कहा है लेकिन सवाल ये है कि जब वो गृहमंत्री थे तब उन्होंने पुलिसिंग को सुधारने के लिए क्या किया. किया होता तो आज ये बोलने की नौबत नहीं आती.

ठेकेदार के निवास, दफ्तर की जांच, भारी कर चोरी का मामला पकड़ाया

करोड़ो का सड़क निर्माण करने वाले ठेकेदार रामअवतार अग्रवाल, पवन अग्रवाल और बजरंग अग्रवाल के यहां रायपुर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर की आयकर टीम ने घर,दफ्तर व फैक्टरी में आज सुबह एक साथ छापा मारा। छापे में भारी कर अपवंचन का मामला पकड़ाने की खबर है।
मूलत: सूरजपुर निवासी रामअवतार अग्रवाल, पवन अग्रवाल और बजरंग अग्रवाल के यहां आज सुबह 7 बजे भोपाल, रायपुर, ग्वालियर और जबलपुर के आयकर विभाग के अधिकारियों ने श्रीकांत वर्मा मार्ग स्थित हंसा विहार कालोनी के तीनों घर, वी.आर.प्लाजा के दफ्तर में छापा मारा। मूलत: सड़क निर्माण के कार्यों से जुड़े और स्पंज आयरन फैक्ट्री के मालिक रामअवतार अग्रवाल, पवन अग्रवाल और बजरंग अग्रवाल द्वारा बड़ी मात्रा में आयकर चोरी किए जाने का मामला सामने आया है।
छापामार कार्रवाई के दौरान अफसरों ने तीनों घर के सदस्यों को एक कमरे में बिठा सारे सदस्यों के मोबाइल को कब्जे में ले लिया गया था। वहीं फोन की घण्टी घन-घनाने पर रिसीव भी स्वयं अफसर करते रहे।
हंसा विहार के तीन घरों, वी.आर.प्लाजा स्थित दुकान, रायपुर रोड परसदा स्थित डामर मिक्सिंग प्लांट और गतौरी के सरया पावर प्लांट पर आयकर अफसरों ने एक साथ छापे डाले। वहीं कोरबा स्थित व्यवसायी ठिकानों पर भी छापे मारे गए। कार्रवाई के दौरान स्थानीय पुलिस और महिला पुलिस घर,दफ्तर और प्लांट पर डटे रहे।
आयकर के अफसर भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और रायपुर से पहुंचे थी। इसके स्थानीय आयकर विभाग के अधिकारी शामिल नहीं थे और न ही उन्हें कोई जानकारी दी गई थी। जानकारी के मुताबिक आयकर के अफसर तवेरा, बोलेरो, इनोवा, सूमो, मार्शल सहित दर्जन भर से ऊपर वाहनों में आए थे। छापामार कार्रवाई देर रात तक चलती रही।
यह उल्लेखनीय है कि रामअवतार अग्रवाल फर्म द्वारा प्रधान मंत्री ग्रामीण सड़क योजना अन्तर्गत करोड़ो रूपए का कार्य किया जा चुका है।

शनिवार, 3 अक्तूबर 2009

सरेआम हत्या, हत्यारा फरार, हाथ मलती रही पुलिस

सरेशाम कोयला व्यापारी गोवर्धन अग्रवाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई. उनको गोली किसने मारी. पुलिस अब तक इसका पता नहीं लगा पाई है. उनको किसी अज्ञात व्यक्ति ने गोली मारी जब वह कोल डिपो बंद करके अपने घर नवापारा लौट रहे थे। घायल अवस्था में उन्हें अस्पताल दाखिल कराया गया जहां उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई।
पुलिस के अनुसार गोवर्धन अग्रवाल 45 वर्ष अपनी मोटर साइकिल से घर लौट रहे थे कि स्थानीय बीटीआई के पीछे घात लगाए बैठे हमलावर ने उन पर गोली चला दी। गोली लगते ही वे मोटर साइकिल से गिर पड़े। इसकी सूचना उनके घरवाली को दी गई और उन्हें अस्पताल ले जाया गया। गोली उनके सीने में लगी। हमले के कारणों का पता नहीं चल सका है।
उल्लेखनीय है कि कोयला व्यवसायियों में भारी व्यवासायिक प्रतिद्वंदिता चलती रही है और इसे लेकर पहले भी हत्या के प्रयास की घटनाएं देखी-सुनी गई है। गोवर्धन अग्रवाल का बनारस रोड पर कोल डिपो है और वे इस व्यवसाय से लंबे समय से जुड़े हुए हैं। इस घटना से कोयला व्यवसाय में हडक़ंप का माहौल निर्मित हो गया है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।
इस घटना ने शहर की सुरक्षा को फिर से सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है. लोग खौफ में हैं और शाम के वक्त घऱ से बाहर निकलने से कतरा रहे हैं. किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा हत्या करने की ये कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी लाल बाबू सिंह और उनके साले की हत्या भाड़े के हत्यारों ने कर दी थी. अंदेशा जताया जा रहा है कि गोर्वधन अग्रवाल की हत्या भी भाड़े के शूटरों से कराई गई होगी.
इस हत्याकांड ने पुलिस के सामने एक बार फिर चुनौती पेश कर दी है. इससे पहले डबल मर्डर केस और कई ऐसे दूसरे खूनी केस हैं जिसकी तह तक पुलिस अब तक नहीं पहुंच सकी है. कुछ दिन पहले आर्किटेक्ट संतोष गुप्ता के छोटे भाई की लाश बांकी डेम से मिली थी. घऱवालों ने उसके हत्या की आशंका जताई थी लेकिन पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंची, अलबत्ता राजनीतिक दबाव के बाद जांच अधिकारी ज़रूर बदल दिया गया था. गौरतलब है कि लाश की बरामदगी से करीब महीने भर पहले उसकी मोटर साईकिल और चप्पल अलग अलग जगहों पर मिले थे. परिस्थियां हत्या की ओर इशारा कर रही थी.लेकिन डेढ़ महीने बाद भी पुलिस उसकी कॉल डिटेल तक नहीं निकलवा पाई थी. ऐसी पुलिस से ये उम्मीद करना कि वो जल्द ही गोवर्धन के हत्यारों का पता लगा लेगी, नासमझी होगी
 
चिट्ठाजगत